5 Essential Elements For vyapar mein labh



आध्यात्मिक जीवन जीने की कला जीने की कला का ज्ञान जीवन का उद्देश्य

यहाँ हम आपको क्या समझाने का प्रयत्न कर रहे हैं सुनिए.

जब आप गहरे ध्यान की शान्ति में बैठते हैं, तो आनन्द भीतर से प्रस्फुटित होता है, जो किसी बाह्य प्रोत्साहन से जागृत नहीं होता। ध्यान का आनन्द अभिभूत करने वाला होता है। जिन लोगों ने सच्चे ध्यान की शान्ति में प्रवेश नहीं किया है वे नहीं जानते कि वास्तविक आनन्द क्या है।

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अतः, इस कारण ईश्वर की खोज करना उचित ही है। वे सभी भक्त जो सच्चाई से उन्हें खोजते हैं वे उन्हें अवश्य प्राप्त करेंगे। जो ईश्वर को प्रेम करना चाहते हैं और उनके साम्राज्य में प्रवेश करने की लालसा रखते हैं, और जो सच्चे हृदय से उन्हें जानना चाहते हैं, वे उन्हें पा लेंगे। दिन और रात उनके लिए आपके मन में इच्छा सदा बढ़ती रहनी चाहिए। वे आपको दिए गए वचन को अनन्तता तक निभा कर आपके प्रेम का प्रत्युत्तर देंगे, और आप अन्तहीन आनन्द और सुख को जान जाएंगे। सब प्रकाश है, सब आनन्द है, सब शांति है, सब प्रेम है। वे ही सब कुछ हैं।

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मैं तो हर पल व्यस्त रहा!” परन्तु उन्हें याद ही नहीं आता कि वे किस काम में इतने व्यस्त थे।

अगर ये भी नहीं तो फिर क्या है जीवन? एक दुसरे से आगे निकलने की दौड़, दिलों में हमेशा एक दुसरे के लिए इर्ष्या और संतुष्टि के पीछे भागते हुए लोग, क्या यही जीवन है?

उसके बाद आत्मा किसी दुसरे शरीर में प्रवेश करेगी, चाहे वो इंसान का हो या किसी दुसरे प्राणी का. लेकिन आपका जन्म तो फिर से हो ही गया ना.

हमारा पूरा जीवन कब और कैसे होता है ये बात तो केवल भगवान् ही बता सकते हैं. पर इतना तय है की असली जीवन का अंत तो होता ही नहीं है.

इतना सब कुछ करने के बाद भी किसी को शान्ति नहीं मिल पा रही है. तो क्या बस पूरी ज़िन्दगी संघर्ष करना और मरना ही ज़िन्दगी है? चलिए इस पर थोड़ी चर्चा करते हैं.

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यहाँ तक सब ठीक है लेकिन जीवन का उद्देश्य क्या है? जीवन की सच्चाई क्या है?

देखिये जीवन तो भगवान् ने सभी प्राणियों को दिया ही है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की परमात्मा ने इंसान को क्यों बनाया. इतना तो आप सब जानते ही होंगे की सभी प्राणियों में परमात्मा ने इंसान को सर्वश्रेस्ठ बनाया है.

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